You'll Also Like

Showing posts with label Uttarakhand High Court. Show all posts
Showing posts with label Uttarakhand High Court. Show all posts

Monday, August 1, 2011

नैनीताल हाईकोर्ट ने सीबीआई की यूं की बोलती बंद


स्वामी रामदेव के सहयोगी आचार्य बालकृष्ण द्वारा गिरफ्तारी पर रोक लगाने के लिए दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए नैनीताल उच्च न्यायालय ने 'टॉर्चर' के जरिये लोगों की बंद जुबान खोलने में माहिर सीबीआई की बोलती बंद कर दी। न्यायालय ने अंतरिम आदेश जारी करते हुए बालकृष्ण की गिरफ्तारी पर तो रोक लगाई ही, यह भी बेपर्दा कर दिया कि सीबीआई किसके हाथों की कठपुतली है। 
मालूम हो कि बीती २९ जुलाई को मामले की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति तरुण अग्रवाल की एकल खंडपीठ ने बालकृष्ण को 3 अगस्त को सीबीआई के सम्मुख अपना पक्ष रखने और 5 अगस्त तक अपना पासपोर्ट हाईकोर्ट के रजिस्टार जनरल के यहां जमा करने के भी आदेश दिए हैं साथ ही एक सप्ताह के भीतर अपने साक्ष्य पेश करने को भी कहा है, साथ ही सीबीआई को भी तीन सप्ताह के भीतर काउंटर पेश करने के आदेश दिए हैं। मामले की अगली सुनवाई अब 29 अगस्त को होगी। उच्च न्यायालय में क्या हुआ, इसका लब्बो-लुआब कुछ इस तरह रहा


न्यायमूर्ति ने सीबीआई से पूछा: बालकृष्ण कहाँ रहते हैं ?
सीबीआई : हरिद्वार, उत्तराखंड. 
न्यायालय: उत्तराखंड में कोई सरकार या पुलिस है या नहीं ?
सीबीआई: है....
न्यायालय: तो आप कहाँ से टपक पड़े....यहाँ की सरकार से शिकायत क्यों नहीं की ?  संवैधानिक मर्यादाओं/बाध्यताओं का पालन करते हुए सहयोग क्यों नहीं लिया गया .....(हजार बार मांग करने, धरना-प्रदर्शन करने पर भी सीबीआई की जांच नहीं होती है...)
सीबीआई: चुप.... 
न्यायालय: पासपोर्ट एक्ट के Section-10 के तहत केंद्र से कानूनी कार्रवाई की अनुमति क्यों नहीं ली...
सीबीआई: चुप...
सीबीआई: बालकृष्ण नेपाली नागरिक है...
न्यायालय: तो क्या इनका दादूबाग हरिद्वार में जन्म का सर्टिफिकेट फर्जी है ? है तो Registration of Birth Certificate Act के तहत कार्रवाई क्यों नहीं की ?
सीबीआई: लेकिन बालकृष्ण विदेशी नागरिक है, इसलिए उसे भारत का पासपोर्ट नहीं दिया जा सकता...
न्यायालय: लेकिन इसी उत्तराखंड उच्च न्यायालय के एक पूर्व मुख्य न्यायाधीश केन्या के निवासी थे, उनके पास भी तो भारत का पासपोर्ट है....
सीबीआई: चुप....
न्यायालय: इनका वोटर लिस्ट में भी नाम है, गैस कनेक्शन है, उसकी शिकायत क्यों नहीं की ?
न्यायालय: पासपोर्ट १९९७ में बना और २००७ में रिन्यू हुआ, क्या तब जन्म प्रमाण पत्र  की जांच नहीं हुयी ?
सीबीआई: चुप...
न्यायालय: इनके नेपाली नागरिक होने का कोई दस्तावेज है ?
सीबीआई: पहले चुप...फिर...नेपाली मूल का होने का दस्तावेज नहीं हैं लेकिन एफआईआर में आरोप लगाए गए हैं।
न्यायालय: तो क्या, आरोपों/ कयासों पर किसी के खिलाफ कार्रवाई करेंगे...आप तो देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी हैं, बिना जांच के कार्रवाई करेंगे ? ... जाइए, तीन सप्ताह में दस्तावेज लाइए...

(यहां उल्लेखनीय है कि आचार्य प्रमोद कृष्णम् नाम के एक अनाम व्यक्ति ने सीधे राष्ट्रपति को भेजे शिकायती पत्र में बालकृष्ण के आयु व शिक्षा प्रमाण पत्रों को फर्जी बताते हुए जांच की मांग की थी। राष्ट्रपति भवन से मामले को प्रधानमंत्री कार्यालय को संदर्भित किया गया। प्रधानमंत्री ने तुरंत मामला केन्द्रीय गोपन विभाग को भेजा और गोपन विभाग ने बिना कोई देरी किये व राज्य सरकार से परामर्श किये बिना मामले की जांच सीबीआई को सौंपने की सिफारिस कर दी। सीबीआई ने प्राथमिक जांच के आधार पर ही बालकृष्ण के खिलाफ आपराधिक षडयंत्र की धारा १२०बी ,धोखाधड़ी की 420 व फर्जी कागजातों के लिए I .P.C . की संबंधित दर्जन भर धाराओं में मामला दर्ज कर दिया। फर्जी पासपोर्ट को लेकर भी एफआईआर दर्ज की गई। ) 
सीबीआई बालकृष्ण को पूछताछ करने के लिए बुलाकर गिरफ्तार करने की कोशिश में थी, जिसके खिलाफ बालकृष्ण द्वारा उच्च न्यायालय में दायर याचिका में कहा था कि मामला राजनीति से प्रेरित है, बाबा रामदेव  के सहयोगी होने के चलते  सीबीआई उन्हें झूठे मुकदमें में गिरफ्तार करना चाहती है।
यह भी पढ़ें:
1.कांग्रेस के नाम खुला पत्र: कांग्रेसी आन्दोलन क्या जानें....
2. यह युग परिवर्तन की भविष्यवाणी के सच होने का समय तो नहीं ?
3. अमेरिका, विश्व बैंक, प्रधानमंत्री जी और ग्रेडिंग प्रणाली
4. जनकवि 'गिर्दा' की दो एक्सक्लूसिव कवितायें
5. कौन हैं अन्ना हजारे ? क्या है जन लोकपाल विधेयक ?
6. नीरो सरकार जाये, जनता जनार्दन आती है