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Saturday, February 1, 2014

10 जनपथ की नाकामी अधिक है बहुगुणा की वापसी

उत्तराखंड में आयी दैवीय आपदा का आख़िरी पीड़ित
अपने दो वर्ष से भी कम समय में ही उत्तराखड की सत्ता से च्युत हुए विजय बहुगुणा की मुख्यमन्त्री पद से वापसी न केवल उनकी वरन 10 जनपथ की नाकामी अधिक है। 2010 के बाद दोबारा मार्च 2012 में विधायक दल की स्वाभाविक पसंद की अनदेखी के बावजूद उन्हें राज्य पर थोपे जाने  का ही नतीजा है कि बहुगुणा अपने कार्यकाल के पहले दिन से ही कमोबेश हर दिन सत्ता से आते-जाते रहे और एक जज के बाद एक सांसद और अब मुख्यमंत्री के रूप में भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए हैं.  तथा अपना नाम डुबाने के साथ ही अपने पिता के नाम पर भी दाग लगा चुके हैं, और कांग्रेस को भी केदारनाथ आपदा के दौरान अपने निकृष्ट कुप्रबंधन से न केवल उत्तराखंड वरन पूरे देश में नुकसान पहुंचा चुके हैं।
याद रखना होगा कि बहुगुणा की ताजपोशी 10 जनपथ को 500 करोड़ रुपए की थैली पहुंचाए जाने का प्रतिफल बताई गई थी। शायद तभी उन्हें पूरे देश को झकझोरने वाली उत्तराखंड में आई जल प्रलय की तबाही में निकृष्ट प्रबंधन की नाकामी और चारों ओर से हो रही आलोचनाओं के बावजूद के बावजूद नहीं हटाया गया। और अब हटाया भी गया है तो तब , जब तमाम ओपिनियन पोल में कांग्रेस को आगामी लोक सभा चुनावों में उत्तराखंड में पांच में से कम से कम चार सीटों पर हारता बताया जा रहा है, और आसन्न पंचायत चुनावों में भी कांग्रेस की बहुत बुरी हालत बताई जा रही है। 

3 comments:

  1. ठीक कहा आपने, जिसको मर्जी थोप दें ... न चलने वाला था , न चलेगा , न चला.

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  2. Unki sari nakamiya h mujhe to ek b kamyabi najr ni agr apko aati h to bta do.

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  3. उत्तराखण्ड मे वैसे भी लीडर रहे ही कहा ? नेता तो सब है लेकिन राज्य को जो विजन दे सके , विकास कर सके वो लीडर है ही नही ! बहुगुणा करप्ट जज था करप्ट सी एम भी शबित हो गया 1 हरीश रावत वो तो नेता है ही नही वो बेचारा सोनिया दरबार का नौकर टाइप दिखता है ! पहाड़ी लोगो मे हरीश रावत अगर लास्ट तक खीच गया तो अंतिम पहाड़ी मुख्यमंत्री शबित होगा ! क्यूंकि इसके बाद अब पहाड़ से सी एम नही हो सकता है ! कारण रेलवे किनारे रामनगर, हल्द्वानी , हरिद्वार जैसे जगहो पर मुस्लिम बांग्लादेशे और रामपुर बरेली के बेर दिये है कॉंग्रेस ने वोट बैंक के लिये ! पहाड़ी खस ठाकुर जातिवाद मे लिप्त होके बाहर वाले का समर्थन कर देंगे लेकिन ब्राह्मण या हरिजन का नही ! उत्तराखंड अति पिछडे राज्यो मे सम्मिलित हो गया 1 एक रेल जो दिल्ली से चलती है 270 किमी के लिये वो 8 घंटे लेती है बसो की हालत खराब है ! घटिया बसे, पहाड़ी टेकशी वाले 15 रुपये की दारू पी के टेकशी चला के लूटने का काम करते है और सरकार बसे नही चलाती है !! हल्द्वानी से नैनीताल, रामनगर से सब जगह से ए हल है और पब्लिक है की बोलती ही नहे ! बोलेगी कहा से एकता ही नही है

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